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Sunday, 10 April 2011

3 EU observer to keep an eye on SC

अब 3 यूरोपीय संघ के पर्यवेक्षकों एक विशेष मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही पर नजर रखेंगे.
क्या हमे यूरोप से प्रमाण पत्र की जरूरत है या हम उनसे डरते है ? ये वही लोग है जिनहोने इराक पर आक्रमण किया था और लीबिया पर बमबारी कर रहे हैं. ये वही लोग हैं जिनहोने लाखों    यहूदियों की हत्या कर दी और फ्रांस में काले अफ्रीकियों के लिए किसी भी प्रकार के मानव अधिकारों से  इनकार करते हैं और जब विरोध होता है तो वे सशस्त्र पुलिस को मारने भेज देते है।  
क्या हो गया है हमारे विदेश मंत्रालय को ? जरा सोचिए क्या चीन ऐसी बकवास बर्दाश्त करेगा ? चलिये चीन को छोड़िए क्या इसराइल ऐसे अपमानजनक प्रस्ताव से सहमत होगा? ताइवान की तरह एक छोटा राष्ट्र भी ऐसी बात नहीं मानेगा ?
हमारी न्यायिक प्रक्रिया क्या अब यूरोपीय संघ पर निर्भर है. इसका मतलब तो यही हुआ कि भारत केवल उसी को दोषी मान सकता है जिसे हेग मे बैठे लोग दोषी माने। जरा सोचिए अगर कल कसाब का वकील यूरोपीय संघ के बास जाकर कहे कि उसके मानव अधिकारो का उलंघन किया गया है तो उसे भी मुक्त करना पड़ेगा नहीं तो यूरोप क्रोधित हो जाएगा और क्या पता हमे भस्म कर दे ।
आप बताए क्या हमारा देश इतना कमजोर हो गया है या फिर कुछ नेता यूरोप के सामने झुकने से नहीं डरते क्यूंकी इससे उनका स्वार्थ सीध होता है?

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