Sunday, 15 May 2011

भारत विकास कर रहा है 5,000 किमी रेंज वाला अवरोधक प्रक्षेपास्त्र

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भारत ने हवाई रक्षा प्रणाली नेटवर्क पर काम शुरू कर दिया है , जो  5,000 किलोमीटर की दूरी पर किसी भी शत्रुमिसाइल को ध्वस्त करने में सक्षम होगा। अर्थात, इससे पहले कि वह भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर सके हमारे अवरोधक प्रक्षेपास्त्र दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र  को मार  गिराएँगे ।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) पहले से ही एक अवरोधक प्रक्षेपास्त्र विकसित कर चुका है, 
बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली (बीएमडी) के तहत जो 2000 किलोमीटर मे किसे भी हवाईखतरे को मार सकता है । अब वह उसके दूसरे चरण पर कार्यरथ है। 



दूसरे चरण के तहत, प्रक्षेपास्त्र को इस तरह विकसित किया जा रहा है कि वह  5,000 किलोमीटर की दूरी पर किसी भी आने वाले दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र को मार गिराने मे  सक्षम होगा ,यह बताया  डीआरडीओ प्रमुख वी.के. सारस्वत ने। 


5000 किलोमीटर वाली अवरोधक प्रक्षेपास्त्र को वर्ष 2016 तक तैयार करने का लक्ष्य , उन्होंने कहा। 


"इस समय पर  हम प्रारंभिक डिजाइन और परीक्षण कर रहे हैं " सारस्वत ने कहा। 

"वर्तमान में, हमारे मिसाइलों से 2,000 किमी सीमा के भीतर लक्ष्य संलग्न कर सकते हैं, बीएमडी प्रणाली के द्वितीय चरण मे अवरोधक प्रक्षेपास्त्र 5,000 कि.मी सीमा वर्ग तक लक्ष्य को निशाना बनायेगा "उन्होंने बताया । 
पिछले साल जुलाई मे, डीआरडीओ ने  देश में ही विकसित इंटरसेप्टर मिसाइल(अवरोधक प्रक्षेपास्त्र) का सफलतापूर्वक परीक्षण इंटीग्रेटेड टेस्टरेंज (आईटीआर) व्हीलर द्वीप जो कि  उड़ीसा तट पर  है वहाँ किया था। 

जब उनसे पूछा गया अमेरिका कि उस पेशकश के विषय मे जिसमे अमेरिका भारत को अपना एगिस मिसाइल रक्षा प्रणाली बेचना चाहता था, उन्होंने कहा, "ये बाजार की शक्तियों  हैं और वह हमेशा बाजार मे  उपलब्ध उपकरण बेचने की कोशिश करती रहेगी किन्तु भारत मे हम केवल अनुसंधान एवं विकास का प्रयास नहीं कर रहें है बल्कि यह आयुद्ध एक वास्तविकता है , इसलिए मुझे लगता है कि हमे इस बारे में चिंता नहीं करनी चाहिए. "

भारत  बीएमडी प्रणाली के लिए है लांग रेंज ट्रैकिंग रडार (LRTR) का विकास कर रहा है । पहले चरण के प्रयोगों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला राडार इजरायल के साथ समान भागीदारी मे  बनाया गया था, किन्तु  दूसरे चरण का राडार 80 फीसदी स्वदेशी होगा जिसमे इस्राइल केवल नाम मात्र का भागीदार होगा । 

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